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    Yoga Special

    • योग करें, निरोग रहें — स्वस्थ भारत की यही पहचान!

    योग करें निरोग रहें

    • योग किस प्रकार सहायता कर सकता है ?
      योग शारीरिक स्वास्थ्य, स्नायुयतंत्र एवं कंकाल तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने और हृदय तथा नाड़ियों के स्वास्थ्य के लिए हितकर अभ्यास है।

    योग किस प्रकार सहायता कर सकता है

    • ताड़ासन!
      ताड़ शब्द का अर्थ है पहाड़, ताड़ या खजूर का पेड़। इस आसन के अभ्यास से स्थायित्व व शारीरिक दृढ़ता प्राप्त होती है। यह खड़े होकर किए जाने वाले सभी आसनों का आधार है।

    ताड़ासन!

    • वृक्षासन!
      वृक्ष शब्द का अर्थ है पेड़। इस आसन के अभ्यास की अंतिम अवस्था में शारीरिक स्थिति एक पेड़ के आकार की बनती है। इसलिए इस आसन को यह नाम दिया गया है।

    वृक्षासन

    • अर्धचक्रासन!
      अर्द्ध शब्द का अर्थ है आधा तथा चक्र का अर्थ है पहिया। इस आसन में चूँकि शरीर आधे पहिए की आकृति जैसा बनता है इसलिए इस आसन को अर्धचक्रासन कहते हैं।

    अर्धचक्रासन

    • त्रिकोणासन!
      अर्थात तीन कोणों वाल आसन – चूँकि इस आसन के अभ्यास के समय धड़, बहुओं एवं पैरों से बनी आकृति त्रिभुज के सदृश्य दिखाई देती है, इसलिए इस अभ्यास को त्रिकोणासन कहते हैं।

    त्रिकोणासन

    • शलभासन!
      शलभ शब्द का अर्थ टिड्डी होता है। इस आसन के अभ्यास के दौरान शारीरिक स्थिति मकरासन-यानी अधोमुख लेटकर शिथिल होती है।

    शलभासन

    • उत्तानपादासन!
      यहां उत्तान का अर्थ ऊपर की और उठा हुआ और पाद का अर्थ पैर है। इस आसन में लेटकर पैरों को ऊपर उठाया जाता है। इसी कारण इसका नाम उत्तानपादासन है।

    उत्तानपादासन

    • भद्रासन!
      यह आसन बैठ कर किए जाने वाले आसनों में से एक है।
      इस आसन में शारीरिक स्थिति – विश्रामासन (बैठी हुई स्थिति) होती है।

    भद्रासन

    • वज्रासन/वीरासन!
      यह आसन ध्यान के अभ्यास के लिए किए जाने वाले आसनों में से एक है। जब आप ध्यान मुद्रा में इस आसन का अभ्यास करें तब आँखें बंद कर लें।

    वज्रासन/वीरासन

    • उत्तानमंडूकासन!
      उत्तान का अर्थ ऊर्ध्व और मंडूक का अर्थ मेंडक है। इस आसन में मेंडक जैसी स्थिति में ऊर्ध्वमुखी हुआ जाता है। इस कारण इसका नाम उत्तानमंडूकासन पड़ा।

    उत्तानमंडूकासन

    • वक्रासन!
      वक्र शब्द का अर्थ है घुमाव। इस आसन के अभ्यास में मेरुदण्ड की अस्थि को घुमाते हैं जिसके अभ्यास से शरीर में कार्य करने की क्षमता को नया जीवन मिलता है।

    वक्रासन

    • सेतुबंधासन!
      सेतुबंध का अर्थ सेतु का निर्माण है। इस आसन में शरीर की आकृति एक सेतु की अवस्था में रहती है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है। इस आसन को चतुष्पादासन भी कहा जाता है ।

    सेतुबंधासन

    • मकरासन!
      संस्कृत में मकर शब्द का अर्थ है मगर या घड़ियाल। इस आसन में शरीर की स्थिति मगर की आकृति के समान हो जाती है इसलिए इसे मकरासन कहा जाता है।

    मकरासन

    • भुजंगासन!
      भुजंग शब्द का अर्थ है सांप अथवा नाग। इस आसन में शरीर की आकृति सांप के फन की तरह ऊपर उठती है जिसके कारण इस आसन को भुजंगासन कहते हैं।

    भुजंगासन

    • उष्ट्रासन!
      उष्ट्र शब्द का अर्थ होता है ऊंट। इस आसन के अभ्यास की अवस्था में शारीरिक स्थिति ऊंट (उष्ट्र) के कूबड़ के समान हो जाती है इसलिए इसका नाम उष्ट्रासन है।

    उष्ट्रासन

    • पवनमुक्तासन!
      जैसा कि इस आसन के नाम से ही पता चलता है, यह आसन उदर एवं आंतों से वायु या वात बाहर निकालने में उपयोगी है।

    पवनमुक्तासन

    • कपालभाति!
      कपालभाति एक शोधन क्रिया है जो अग्रीय साइनस और ऊपरी श्वसन पथ को शोधन करने में सहायक है।

    कपालभाति

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    • शशकासन!
      शशक शब्द का अर्थ है खरगोश। चूंकि इस आसन के अभ्यास में शरीर की आकृति खरगोश जैसी बनती है इसलिए इसे शशकासन कहते हैं।

    शशकासन

    • योग भारत की प्राचीन विरासत है, जो तन, मन और आत्मा के संतुलन का प्रतीक है।
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